रूस और यूक्रेन को एक टेबल पर बिठाकर स्विट्जर लैंड समझौता करना चाहता है जयशंकर साहब के साथ दिमित्री कुलेबा बैठे यूक्रेन के विदेश मंत्री
यूक्रेन की विदेश मंत्री के आने पर अखबारों के सुर्खियां हैं | इंडिया यूक्रेन में शांति स्थापित करने में हमारी मदद करें ऐतिहासिक रूप से जो रूस का मित्र है हम चाहते हैं कि वह हमारे यहां शांति स्थापित करने में मदद करें | सुर्खियां बन गई – रूस और भारत का प्यार कोई ऐसा लिगसी नहीं है परंपरा नहीं है जो चली आ रही है और चलती रहेगी बादल सकती है यह उड़ सकती हैं. हम इंडिया से कहते हैं कि एक बार फिर से विचार करिए कि आप जिसके साथ मित्रता में हैं वह मित्रता लंबी नहीं चल सकती |
हमें नसीहत देने वाले लोगों ने तो पहले भी नसीहत दी थी यह वही दिमित्री कोलेबा है जिन्होंने 2022 की अगस्त में भारत पर बयान देते हुए कहा था कि इंडिया जो तेल खरीद रहा है वह यूक्रेनियन ब्लड के कीमत पर खरीद रहा है क्यों क्योंकि इंडिया जब तेल खरीदना है तो रूस के पास धन पहुंचता है और रूस इस धन से यूक्रेनियन को मारता है आपकी यह वाली बात माने या जो अपने 2 साल पहले कहीं या यह वाली जो आपने आज कहीं | आपने तो यह कह दिया कि इंडिया रूस से तेल खरीदे it is ok अजीज साहब आप तो हमें सही सिद्ध कर दिए इसका मतलब हम 2 साल पहले जब आपके कहने पर भी तेल खरीदना बंद नहीं किया था तो आज आपने हमें सही सिद्धकर दिया कि सही तो किया हमने आज आप खुद ही कह रहे हैं इंडिया बाइंग रशियन तेल इस ओके बट डॉन’टी फंड पुतिन’एस वर मशीन बस उसके वार के लिए पैसा ना दे वो तो हम पहले ही नहीं देते मतलब यह है की कुल मिलाकर के आपको भी यह समझ में आ गया कि इंडिया जानबूझकर आप पर गोली नहीं चल रहा है लेकिन अगर इंडिया रस से तेल नहीं खरीदते तो दुनिया में जो महंगाई का संकट आता ना जाने कितने देश ऐसे होते जिन्हें भूखा सोना पड़ता क्योंकि दुनिया में रस से तेल खरीद करके ही भारत ने दुनिया में सस्ता तेल उपलब्ध होने के रास्ते खोल क्योंकि रूस से भारत ने तेल खरीदा तो चीन ने तेल खरीदा और दो बड़े देशों ने जब तेल खरीदा तो जो गल्फ का तेल था वह आसानी से दुनिया के अन्य देशों तक सस्ते दामों पर पहुंचता रहा क्योंकि अंकल अमेरिका ने तो सारे रास्ते बंद ही कर दिए थे खैर कोई नहीं देर से आए दुरुस्त आए आए तो आए बाकायदा मैसेज देकर आए यानी कि उन्होंने होली पर भारत वालों को संदेश दिया कि आज मैं जिस समय यहवीडियो रिकॉर्ड कर रहा हूं उसे समय इंडिया होली सेलिब्रेट कर रहा है और होली की आप सभी को शुभकामनाएं मैं कुछ दिनों में आपके सामने आ रहा हूं कि मैं खड़ा हूं यूक्रेन की राजधानी में महात्मा गांधी के सामने खड़ा हूं और महात्मा गांधी के सामने खड़े होकर के उन्हीं के सत्यव्रत की पालना में यह बात कहता हूं कि जब मैं आऊंगा तो आपको यह एहसास हो कि यह वह यूक्रेन है जो 2 साल तक इस तरह खड़ा रहा कि जब दुनिया ने यह सोच लिया था कि यह सरवाइव नहीं कर पाएगा लेकिन हम सरवाइव किया और हम सरवाइव किया महात्मा की बातों को भी आज मानते हुए हम दुनिया में शांति स्थापित करने की बात करते हैं कुल मिलाकर के इंडिया आने से पहले इन्होंने पूरा माहौल बनाया बाकायदा महात्मा गांधी जी का नाम लेकर के अपनी यात्रा की शुरुआत की और फाइनली 27 तारीख को आप इंडिया आ पहुंचे इंडिया आए
तो विजिट ऑफ मिनिस्टर ऑफ फॉरेन अफेयर्स ऑफ यूक्रेन तो इंडिया यह सुर्खी बनती है यहां पर यह मिलने आए बाकायदा यहां आए तो आकर के इनका स्वागत हुआ राजधानी दिल्ली में स्थित महात्मा गांधी की समाधि राजघाट तक आप पहुंचे बापू को नमन करके इन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की दया मित्र को लेबा का आप ट्वीट हैं राजघाट पर पुष्प अर्पित करते हुए आप इन्हें देख सकते हैं इसके बाद हैदराबाद हाउस में डॉक्टर जयशंकर साहब ने उनके साथ मुलाकात की बाकायदा दोनों के बीच में चर्चाएं हुई बैठकों में विचार को विचारों का आदान-प्रदान हुआ कुल मिलाकर दुनिया वाले यह जान चुके हैं कि भारत की मध्यस्थता के बिना रूस और यूक्रेन के बीच में कोई भी समझौता नहीं हो सकता तभी तो अपनी पहली यात्रा पर दे मित्र को लेबर इंडिया आए हैं दुनिया भर के देशों की चर्चा है और यात्रा करने के बाद आज कुलेबा युद्ध के 2 साल बीतने के बाद इंडिया आए हैं देर से ही सही दुरुस्त आए हैं क्योंकि यह समझ में आ चुका है कि ग्लोबल साउथ का लीडर है इंडिया दुनिया में जिन्हें कहा जाता हो कि यह लोग तो यारअलग निमंत्रण पर हम आ गए हैं चलो अच्छा हुआ कि आप पधारे अपने मंत्रियों से आपने हमारे विदेश मंत्री की बातचीत कराई हमारे विदेश मंत्री ने इन सबके विदेश मंत्रियों को ऑनलाइन लेकर 121 बिठाकर बातचीत करी और बातचीत में दोनों देशों के बीच में रिलेशंस को कैसे आगे और सकारात्मक रूप से बढ़ाया जाए इस पर बातचीत हुई भारत ने अपनी तरफ से दोनों के बीच में शांति और सभी मुद्दों पर प्रॉपर बात की और भारत ने अपना स्टैंड स उसूल हमेशा की तरह क्लियर रखा की देखिए हमारा केवल अपने उद्देश्यों की पालना लक्ष्य है आप दोनों के बीच में हम केवल यह कह सकते हैं कि हम युद्ध के समर्थन नहीं है ना पहले थे ना हम आज हैं और हम यही चाहते हैं कि सब लोग सदा शांति से रहे बाय द वे यहां पर एक ध्यान देखने वाली बात यह है कि जो मंत्रियों की बैठक होते हुए आपने अभी देखी यह असल मायने में साथ भी इंटर गवर्नमेंट बैठक थी आप पूछेंगे तो छठी कब हुई थी 2018 में इंटर गवर्नमेंट कमीशन की बैठक हुई थी असल में भारत और यूक्रेन 1994 से अपने मंत्रियों को आपस में बिठाकर बातचीत कर रहे हैं
लेकिन अब तक 94 से लेकर 24 के बीच में 30 सालों के अंदर मात्र सात बार ही इन लोगों की बैठक हुई है इससे अंदाजा लगता है कि दोनों देशों के बीच में रास्तों का जो सफर है ऐसी स्थिति में मामला ट्रेड पर ध्यान पहुंचता है ट्रेड का आंकड़ा यूक्रेन वार के दौरान घटा है 2021 में जहां भारत और यूक्रेन का व्यापार 3.38 बिलियन डॉलर था वह 2022 में घटकर 2.58 बिलियन डालर रह गया भारत जहां यूक्रेन को एक तरफ अपनी तरफ से 85.49 मिलियन डॉलर का सामान एक्सपोर्ट करता है वहीं डेढ़ बिलियन डॉलर से अधिक का सामान इंपोर्ट करता है जब भी कोई देश समान भारत को बेचता है तो उसके निजी हित स्वयं स्वाभाविक रूप से भारत में जुड़ जाते हैं कि अगर भारत से व्यापार बढ़ेगा तो पैसा आएगा पर यहीकारण है कि शांति ही सही अल्टीमेटली पैसे से ली जाती है यूक्रेन भी समझता है कि भारत के साथ उसके व्यापार का होना जरूरी है एडरवाइज रिश्तो के रिवाइव होने के बावजूद भी यूक्रेन को पैसा नहीं मिलेगा हालांकि यूक्रेन ने भारत से अपेक्षा की है कि जो स्विट्जरलैंड की मध्यस्थिता से पीस डील होने वाली है आप लोग वहां जाकर पहुंचे यहां बाकायदा इन्होंने कहा कि हम यह विश्वास रखते हैं कि इंडिया का जो रसिया के साथ रिलेशन है वह रसिया को रोक सकता है और इस युद्ध को और बड़ा होने से बचा सकता है और साथ में हम यह भी मानते हैं कि इंडिया बहुत इंपॉर्टेंट रोल प्ले कर सकता है दो नेशंस को एक दूसरे के साथ लाने में अजी हम तो बहुत दिनों से कह रहे हैं तभी तो यूरोप के अखबार इसकी हैडलाइन बना रहे हैं कि यूक्रेन ने इंडिया से कहा है कि आप यूक्रेन ने इंडिया से कहा है कि आप अपने पुराने मित्र रस से कहिए कि मामला थोड़ा सेटल कर ले दुनिया भर के अखबारों ने इस न्यूज़ को कर किया है और कहा है कि यूक्रेन वहां जाकर कह रहा है किआप सोवियत काल से जो दोस्ती निभाते आ रहे हैं अब रूस वह नहीं है अब वह चीन के नजदीक चल पड़ा है चीन और रूस के रिश्ते बढ़िया हो रहे हैं ऐसी स्थिति में भारत को चिंतित होना चाहिए कि एक लाख सैनिकों को चीन ने भारत के बॉर्डर पर खड़ा किया हुआ है तो बेहतर है कि भारत इस बात को समझें और रूस के साथ में अपने संबंधों को रोक क्योंकि आने वाले समय में यह दोनों देश एक साथ हो गए तो सोवियत की याद में आप भले ही आज तक रिश्ते चला रहे हो लेकिन 1991 के बाद में सोवियत रूस टूट चुका है उसे सोवियत रूस में ही कभी यूक्रेन हुआ करता था तो बोले आप उसे समय के रिश्तों को रूस के साथ क्यों धो रहे हैं उनमें से एक देश तो हम भी यूक्रेन हैं हमसे ही निभा लीजिए बाय द वे मैं आपको बता दूं कि भारत और सोवियत रूस के रिश्ते बहुत कारगर रहे हैं यह वही दूर है जब हम 1971 के युद्ध की बात करते हैं तब सोवियत रूस हुआ करता था 1991 में सेकंड कोल्ड वॉर अवार्ड की समाप्ति पर 15 देश जो सोवियत रूस के अंदर हुआ करते थे वह टूट करके अपना-अपना एक्जिस्टेंस बनालिए उनमें से सबसे बड़ा देश रूस कहलाया था साथियों दुनिया भर के लोगों ने लेकिन यूक्रेन के विदेश मंत्री को याद दिलाया कि सर जी आप वही हैं जहां आपकी विदेश मंत्री के द्वारा आपके डिफेंस मिनिस्ट्री के द्वारा बम फटने को काली माता का एक गंदा स्कैच बना कर दिखाया गया था हम आपको भूल नहीं सकते हम आपको याद रखते हैं लेकिन अब आपको समझ में आ गया है कि भारत के बिना कुछ हो नहीं सकता इसलिए आप चले आए हैं यह हमारे विदेश मंत्री बहुत पहले कह चुके हैं इसी के साथ-साथ कुछ लोगों ने इनको याद दिलाया कि सर जी अब भारत के ऊपर तो फोकस कर रहे हैं कि हम युद्ध में शांति करें आप अपने वाले को भी तो समझाइए कि वह समझे कि युद्ध में शांति जरूरी होती है बोल किसकी बात की जा रही है चलेंगे की की ऐसा क्यों चलेंगे की युद्ध का जब पहले साल बिता 24 फरवरी 22 को युद्ध शुरू हुआ था 25 फरवरी 23 में यह जब बोलते हैं कि मैं झुकाने वाला नहीं है यह पुष्पा मूवी का डायलॉग याद करके बैठे हैं झुकेगा नहीं अब वही झुकेगा नहीं मैं यह बोलतेकि मैं पुतिन से नेगोशिएट नहीं करूंगा
2024 में फिर से फरवरी निकली फिर से पूछा जी नेगोशिएट करोगे क्या | नहीं मैं नेगोशिएट नहीं करूंगा वह चलेंगे की ना नेगोशिएट करने की सुर्खियां है वहीं पर पुतिन के नेगोशिएट करने की सुर्खियां हैं | पुतिन बार-बार कह रहे हैं कि आई एम रेडी टू नेट कर लो आओ टेबल पर बैठो चर्चा कर लेते हैं तो एक तरफ आपका बंदा नेगोशिएट करने को तैयार नहीं हो रहा है पुतिन पूरे टाइम टेबल पर बैठे हुए तो कैसे बात बनेगी आपका वाला तो 10 सूत्रीय मांग लेकर बैठा है जिसमें वह यह कहता है कि रसिया वाले सारा देश छोड़कर चले जाएं कैसे चले जाएं वो पहले ही विचित्र राष्ट्र बन कर बैठा है वो उन्हीं क्षेत्रों को लेकर बैठा है जहां पर उसके समर्थक लोग रहते थे पहले तो आप सब लोग एक ही थे ना सोवियत ऋषि थे सोवियत रूस के कुछ लोग आपके पास रह गए तो जो रूसी लोग यूक्रेन में रह गए उनको उसने अपने में मिल लिया कि भाई रूस के थे रूस में चले गए तो अब आपको लगता है कि इसके खिलाफ आप युद्ध लड़ सकते हो तो लड़ते रहो अमेरिका की चाहत है कि आप युद्ध लड़े तो लड़े क्योंकि उसे तो अल्टीमेटली रस को नीचे दिखाना है भारतके विदेश मंत्री ने मल्टीप्ल टाइम आपको यह याद दिलाया है अलग-अलग मंचों पर लेकिन आप समझने को तैयार नहीं है कोई बात नहीं आपको महात्मा गांधी जी के विचार शांति दे हम तो यही चाहते हैं इस बीच में रूस टाइम्स जो इंडिया में एक्टिवेट है कई लोगों से पूछ पूछ करके मजे ले लिए लोगों से इंटरव्यू लेकर पूछा गया कि क्या आपको पता है कि यूक्रेन के फॉरेन मिनिस्टर आए हुए हैं तो लोगों ने कहा नहीं पता है तो रूस टाइम्स ने जो इंडिया में लीड करता है उसने कहा कि लोगों को पता ही नहीं है कि कोलवा आए हुए हैं इस बात पर लोगों ने काफी ज्यादा मेंस बनाएं खैर कोई बात नहीं कुल मिलाकर के जिन्हें देर से समझ में आया अच्छा समझ में आया भारत के साथ व्यापार की संभावनाओं को समझ में आया और इन्होंने कहा कि भारत अपनी करेंसी में तेल खरीद रहा है हमें कोई दिक्कत नहीं है